Death & Life Distinction
Padmini Arhant
Dead are the ones who shamelessly fleece on others as parasites and remain obsessed with the target’s life like the ghosts denied peace to rest upon demise.
The perverts as intruders worse than pests in dirty filthy swamps peeping, eavesdropping, spying, snooping…carried out abusing taxpayers money extended into plagiarizing, pirating besides false propaganda are miserable in every respect.
These variety typically are the ones having committed suicide in abandoning own embarrassing criminal corrupt promiscuous life to taunt, harass, bully and besmirch their target, are essentially perished in the end justifying the means for everyone of them.
Stop riding on others back, stealing other’s identity and lifestyle. Instead, begin settling your deplorable karmic debts as this is the last chance to be human which has been violated in the overwhelming decaying decadence and narcissism.
Nothing ever matter especially illegally amassed power, fortune, fame and monetized relentless publicity in the abysmal renunciation of human nature for demon culture.
Go find yourself if you can (?) rather than running away from you.
Padmini Arhant
हिन्दी अनुवाद:
मुर्दा ज़िंदा का भेद
जो अपनी ज़िंदगी छोड़कर, किसी अनजान की ज़िंदगी पर हावी होकर उसे अपना कहना और मानने वालों की मानसिक अवस्था सामने आता है ।
उस के अलावा, ऐसी हरकतों से व्यक्ति मुर्दा होते हैं। फिर दर दर भटकतें हैं । बिलकुल जैसे भूत जब अपनी आत्मा शांति से वंचित होकर सदा दूसरों को तंग करने और कष्ट देने पर आदी होता है वैसे ही यह भ्रष्ट लोभी ईर्ष्यालु मुर्दे जीवित समय भूत
बनके अपने आप से भागते हैं ।
इससे यह प्रचलित है कि ऐसे व्यक्ति न घर के न घाट के होते हैं ।स्वयं और दूसरों के दुश्मन बन जाते हैं ।
इनके दुष्कर्मों की फल इन्हें जीते जी ज़िंदा लाश बना देता है ।
इसके विपरीत जो अपनी जीवन आदर्श, मानवता और अनुशासन में जुड़े जीते हैं,वह सदैव अमर होते हैं। क्योंकि यह चरित्र इस कलयुग में आश्चर्यजनक और अनोखा है,इसलिए दुष्ट ऐसे व्यवहार से परेशान होते हैं और हर तरह के झूठे प्रचारन,छल,कपट,द्रोह, दुष्टता अर्चन वग़ैरा में उलझते हैं। आख़िर में,निस्संदेह सभी को जैसी करनी वैसी भरनी होती है। पद्मिनी अरहंत
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