भारत
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जैसी बोली वैसा जवाब
पद्मिनी अरहंत
अद्यतन (Update): राजनीति और राजनीति से जुड़े सभी सग़े संबंधी, अन्धभक्त, खुली आँखें भक्त, राजनीति के चरणामृत ग्रहण करने वाले मीडिया सभी के लिए यह संदेश है, दो उँगली दिखाकर बलि की बकरी का घटिया खेल का दौर समाप्त हो गया है। यह बेईमानी परंपरा अंतर्राष्ट्रीय क्रिमिनल संगठन की ग़ुलामी को प्रचलित करता है। उसके अलावा जब दो उँगली दिखाकर मुझे निशाना लगाना,मुख्य उदाहरण बीजेपी की नूपुर शर्मा और चरणस्पर्श करती मीडिया का खेल इस्लाम मज़हब और उनकी पैग़म्बर (PBUH)की बदनाम और उस नीच व्यवहार के बाद हर वीडियो में और चाटुकार TV channel में दो उँगुली दिखाकर उसे मुझ पर मोड़ देना जिसकेलिए सरेआम जूते पड़े थे। यह पुरानी, बेबुनियाद और नाकामी हरकत है। जिसका परिणाम बहुत बुरा होने का साबित जूते वाली सिलसिले में हुआ। जो जूते खाये उन्होंने ने अनुभव भी किए। अक़्लमंदों को वैसे इशारा ही काफ़ी होता है। जिनकी अक़्ल ना हो, दूसरों की क़िस्मत आज़माने के अलावा उन्हें सौ जूते से भी सीख नहीं मिलती। मुख्य तौर पर, ऐसा व्यवहार दो उँगली दिखाते समय अपनी अन्य तीन उँगली जो अपने स्वयं की और है, उस पर भी ध्यान देना आवश्यक है जो व्यक्तिगत मूर्खता पर रोशन करता है। ज़बरदस्ती की भी हद होती है। जब मैं कई बार कह चुकी हूँ की मैं किसी भी राजनीति दल से नहीं जुड़ी हूँ। ना पहले थी। ना अब हूँ। मैंने पहले से हमेशा मेरी रिश्ता, संबंध और प्रतिनिधित्व केवल और केवल ईश्वर से जुड़ा है और कोई राजनीति, संगठन या किसी प्रकार के उद्योग, धार्मिक, राजनीतिक और नाना प्रकार के संस्था, व्यवस्था वग़ैरा से नहीं है। यह जानते हुए भी जान पूछ कर मुझे कीचड़ में घसीटना और राजनीति और फ़िल्म इंडस्ट्री से संबंध व्यक्तियों के साथ मुझे धकेलना, अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल संगठन को ख़ुश करने के लिए और उनकी आज्ञा पालन करने वाली ऐसी करतूतें सभी करने वालों के लिए निश्चित हानिकारक होगा। पुलवामा कांड में सच्चाई साफ़ है - जब भारत के प्रधान मंत्री चीतों की शावक की जन्म से लेकर खेल कूद, beauty pageant,अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष मिशन चांद्रायण-२ -International Space Mission Chandrayaan-2, Balakot air-strike… जैसे कई घटनायें, देश और दुनिया भर की विषयों पर अपना श्रेय लेते हैं भले ही उनकी भाग हो या नो हो। यहाँ तक कि Russia - Ukraine के युध जो अभी भी जमकर जारी है, उसे भी प्रधानमंत्री ख़त्म करने की झूठा प्रचार को नकारते नहीं। तो फिर पुलवामा से क्यों दूर भाग रहे हैं? देश की आर्थिक व्यवस्था, सुरक्षा और समाज की शांति जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर देश के प्रधानमंत्री ही उत्तरदायी है। जो अब तक निभाये नहीं। इसलिए चाहे कोई भी राज्यपाल और सेना के अधिकारी होते हुए भी, और वो भी जम्मू कश्मीर को प्रदेश के स्थान से घटाकर, Kashmir के 370 Abrogation के बाद केंद्रीय सरकार दुनिया को यह बताकर उस राज्य को Union Territory में बदले की सुरक्षा सीधे केंद्रीय नेतृत्व में रहे। यह सब खुली प्रमाण के पश्चात अब प्रधान मंत्री,ग्रह मंत्रालय और सुरक्षा मंत्रालय (Defense Ministry)सभी प्रधान मंत्री के कार्यालय से जुड़े हुए है, फिर कैसे अपनी ज़िम्मेदारी से हाथ धो सकते है या परे हो सकते हैं? अपने IT sleeper cells social media और तमाम TV channel के सहारे कैसे छिप सकते हैं? पूरी दुनियाँ में यही नियम है की - the buck stops at the highest office on land whoever is the Prime Minister,President or head of the state occupying the formal position with official title and fanfare. फिर कहाँ की और कैसी संकोच देश से अपनी गलती मानने में और मुख्य तौर पर उन ४० से अधिक शहीद सैनिकों के परिवार से माफ़ी माँगने में क्या दिक़्क़त? इन विषयों पर ही, एक नेता और ऊँचे पद के अधिकारी के असली देश प्रेम और देश वासी के प्रति अपना कर्तव्य और मानवता या अथवा दिखायी देता है। शोषण की चर्चा पर सरकार की चुप्पी आश्चर्य नहीं हैं । क्योंकि देश की आर्थिक व्यवस्था का शोषण सरकार के सहयोग से ख़ास उद्योगपति पूँजीपति करने में व्यस्त हैं। देश की तिजोरी राजनीति द्वारा लूटना,बैंकों की डकैती आम जनता को गंगाल बनाके फिर भगोड़ों की सुरक्षित देश से बाहर उड़ान - इन मामलों से देश का शोषण इन सब तथाकथित आदरणीय, माननीय, पूजनीय महान महोदय संगठन रोज़ाना करके बिंदास घूम रहे हैं तो फिर शोषण से इन्हें काहे की चिंता। जब इन हस्तियों के लिए शोषण धर्म बनता हो।
भारत सरकार, सरपंच, राजनीति, चाटुकार मीडिया और झूठे प्रचारक टोली 👎🏼👎🏼👎🏼👎🏼👎🏼
पद्मिनी अरहंत
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भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री को किसान आंदोलन पर, सरकार द्वारा भेजे गये पुलिस के हिंसा के कारण ७००-८०० किसानों की मृत्यु की जानकारी दी गई।
प्रधान मंत्री की प्रतिक्रिया उस घटना को लेकर – क्या वह ७००-८०० किसान मेरे लिये थोड़े मरे ?
जब मीडिया ज़रिये यह बताया जा रहा है कि प्रधान मंत्री अपने घर, पत्नी सांसारिक जीवन त्याग कर राजनीति में कूद पड़े थे।
तब भारत के ग़रीबी बेरोज़गारी महंगाई अर्थव्यवस्था की अवस्था से दुखी जनता से जवाब – क्या प्रधान मंत्री हमारे लिए थोड़ी अपने पत्नी छोड़े जो हमे बता रहे हो ?
अगर यह कहते कि अदानीं कारोबार सँभालने के लिए प्रधान मंत्री ने अपनी पत्नी क़ुर्बानी की तो फिर बात बनती है । उद्योगपति पूँजीपति की सेवा में पति धर्म छोड़ दिये । शायद यही हिन्दुत्वता की महानता हो ?
फिर सुर्ख़ियों में आया है की केंद्रीय सरकार ने अपने चरण स्पर्श करने वाले मीडिया को आदेश दिये हैं की वो अब पूर्व राज्यपाल श्रीमान सत्यपाल मलिक जी को मीडिया के मंच पर उनकी खटिया खड़ा करें । मीडिया की और से बिलकुल भी उन्हें छूट ना दिया जाये ताकि कोई भी अब उनके मुताबित प्रधान मंत्री पर मलिक साहब की तरह पुलवामा, किसानों की मौत वग़ैरा में सत्यपाल जी ने जो खुलासा किए है, उस तरह कोई और प्रधान मंत्री पर सीधे या घुमा फिराके आरोप लगाने की जुर्रत ना करें ।
बस आदेश मिलते ही केंद्रीय सरकार के चरण नमन करके भारतीय मीडिया मैदान में क़ूद पड़े । और कार्यक्रम के शीर्षक ही – सत्यपाल को असत्यपाल साबित करके छोड़ेंगे करके प्रोग्राम की आरंब किए । हमेशा की तरह भाजपा के प्रवक्ता को पहले बोलने का मौखा दिया गया और अधिक से अधिक समय भी देकर राज्यपाल सत्यपाल जी को असत्य और झूठे होने का उल्टा आरोप लगाया जा रहा है ।
जब थोड़े समय अन्य मेहमान को दिये हुए बारी में उन्होंने पूछे की भाजपा कैसे कांग्रेस से बीजेपी में छलांग मारने वाले पूर्व राज्य सभा सदस्य ग़ुलाम नबी आज़ाद के कई आरोप को भाजपा ने सर आँखों पर ले लिया है ।राज्यपाल सत्यपाल जी के पुलवामा वाली बात को क्यों असत्य मानते हैं ।
तो तुरंत बीजेपी के प्रवक्ता बोल पड़े की – ग़ुलाम नबी आज़ाद जी की बात आरोप नहीं बल्कि प्रमाणित सच्चाई है फिर बोले असत्यपाल मलिक की पुलवामा और प्रधान मंत्री के विषय अप्रमाणित है । बीजेपी का कहना है – सत्यपाल मलिक जी के पास क्या आधार है पुलवामा किससे को लेकर और साथ साथ चेतावनी दे दिये की सत्यपाल मलिक को सीबीआई को भी जवाब देना होगा ।
भाजपा के इस पूरे भौकलाहट सत्यपाल मलिक जी के प्रति यह साबित होता है हमेशा की तरह – उल्टा चोर कोतवाल को अपराधी ठहराये ।
सत्यपाल मलिक जी को दो तरह से फ़सा रहे हैं भाजपा परिवार – एक खुले आम उनकी मीडिया ट्रायल (Trial) यानी सुनवाई जिसमे सत्यपाल को असत्यापाल घोषित करना ।
फिर सीबीआई की जाँच में सत्यपाल मलिक जी को झूठे और उल्टा दोषी का नाम देकर सज़ा दिलाना । आम तौर पर एक निशाने पर दो आम गिराते है । मगर भाजपा दो तरीक़े यानी – मीडिया ट्रायल और सीबीआई पड़ताल करवाके एक व्यक्ति पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को सच बोलने की खड़ी से खड़ी दंड दिलवाने का निर्णय लिए हैं ।
इससे भाजपा पूरे भारत को सच्चाई कितनी महँगी यानी अर्थव्यवस्था की महंगाई से भी महँगी और भारी पड़ेगी करके दिखाना चाहते हैं ।
बीजेपी के प्रवक्ता का यह भी कहना है कि – सीबीआई जाँच में सत्यपाल मलिक को अंबानी के रिलायंस को लेकर रिश्वत वाली बात में प्रमाण पेश करना है वरना उन्हें रिलायंस और बीजेपी की तरफ़ से जो भी कार्रवाई होगी उस के लिये भी तैयार रहना होगा ।
बीजेपी सत्यपाल मलिक जी को रिलायंस के बीमा आयोजन से संबंधित रिश्वत वाले मामले में शिकायतकर्ता के रूप में पेश करके, रिलायंस को उस व्यवहार में सीधे निपटने की स्तिथि तैयार किए हैं – बीजेपी प्रवक्ता के इस प्रकार के विवरण के अनुसार यह दृश्य उदय हो रहा है – रिलायंस और सत्यपाल मलिक के बीच यह विवाद बनेगा ।
ऊपर से सत्यपाल मलिक जी का इंटरव्यू में कहना यह था कि उनकी सुरक्षा में भी बहुत घटौती – ख़ाली एक सुरक्षा कर्मचारी हैं ।
यह सब विषय एक ही बात को सामने लाता है भाजपा की और से – जैसी बोली वैसा जवाब, बोल मेरे कबूतर कुटर कूँ कूँ – जैसा हम कहलवाना चाहते हैं वैसे ही कहो उससे परे नहीं।
सच बोलना और सुनना मना है – जैसे महात्मा गांधी जी के तीन बंदर मूर्ति में – बुरा ना देखो, बुरा ना सुनो और बुरा ना बोलो । उस तरह बुरा के बदले सच शब्द यहाँ भाजपा ने लागू किए हैं ।
भाजपा की रणनीति को ध्यान में रखते हुए, २०२४ के चुनाव निकट आने पर, वे यह भी कह सकते हैं कि नोट बंदी यानी demonetization जैसे अभद्र शब्द को प्रधान मंत्री से जोड़कर, उनकी निष्कलंक जो आकाश के सफ़ेद बादल से भी उजाला छवि को कलंकित बनाने की साज़िश है । ज़रूर ऐसे काम अमेरिका के न्यू यॉर्क टाइम्स – New York Times जो मेरे वेबसाइट का रहस्य उपनाम है, जिसे अंतरराष्ट्रीय गुप्त अभिषद यानी सिंडिकेट द्वारा दिया गया प्रयोग है जिसे भारतीय राजनीति और मीडिया आज्ञाकारी होकर पालन करते हैं। तो सीधे आरोप लगाकर, अपने दामन से दाग मिटाने की प्रयत्न संभव है ।
जब भूत पूर्व प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी की १९७५ (1975) आपात क़ालीन किससे मुझ पर (१६ वर्ष जब मैं वोट देने की उम्र में भी नहीं थी ) तोपा गया – अंतर राष्ट्रीय गुप्त संगठन की मूर्खता आदेश पर ऐसे निशाना लगाये हैं ।
किसान आंदोलन पर वीडियो जो बनायी जिसे बार बार मोदी-शाह सरकार ने रद्द करवाये। उसके पश्चात जब मैं अपनी वेबसाइट में पेश किया, तो फ़ौरन मुझे फिर से निशाना लगाये बीजेपी के दोनों नेता – मोदी-शाह और उन्होंने अपने बीजेपी के राज्य सभा सदस्य तमिल नाड़ू के सुब्रह्मणियम स्वामी द्वारा एक तमिल चैनल के इंटरव्यू में कहे की अगर रजनीकांत जो अनगिनत उपनाम में मेरेलिये एक नाम है, रजनीकांत अमेरिका से भारत आयेंगे, तो उन्हें जहाज़ से उतरते ही उनकी गिरफ़्तारी होगी । यह संदेश सीधे मेरेलिये था ।
क्योंकि तमिल नाड़ू के प्रसिद्ध अभिनेता रजनीकांत भाजपा सहयोगी और प्रधान मंत्री के ख़ास समर्थक हैं । और तो और प्रधान मंद्री राष्ट्रीय चुनाव के अवसर पर, प्रधान मंत्री अभिनेता रजनीकांत के घर जाकर उनसे शुभकामनाएँ माँगे – हमेशा की तरह बड़े फोटो शूट और मीडिया उपस्थिति में किया गया समारोह था । तो इसलिए भारत आने पर गिरफ़्तारी की घोषणा मेरेलिये ही था ।
उस को चुनौती देकर, उसके बाद मैं २०१६ और २०१८ अपनी परिवार के संग भारत आई ।
में – २०१६ भारत से ही अपनी संदेश रखी कि मैं भारत से यह मेसेज प्रस्तुत कर रही हूँ करके । भारत सरकार को भी इसकी पूरी जानकारी थी।चाहे मैं सात समंदर पार होते हुए भी पेगासूस (Pegasus) और अन्य ग़ैर क़ानूनी साधन के ज़रिये मेरे ऊपर नज़र रखना और बहुत कुछ होता है जिस को लेकर मैं कई बार पब्लिक मैं बात रखी हूँ । और उसकी खड़ी से खड़ी भर्त्सना भी किया है मैंने आज तक ।
मेरे भारत के उस सफ़र के दौरान, जो जो शहर मैं अपनी परिवार के साथ घूमने गई, उन्हें भारतीय ऐतिहास और संस्कृति के बारे में जानकारी के लिए, वहाँ सब दो चेहरों के पोस्टर लगवाये गये – एक तो भारत के प्रधान मंत्री की और दूसरी बॉलीवुड की अमिताभ बच्चन की – जो भारतीय और अंतर राष्ट्रीय गुप्त संगठन की मेरे साथ रचाये जारी अस्तित्व डकैती (Identity Theft) जो आज तक चलता आ रहा बेईमानी परंपरा है । जिसे मैंने बार बार निंदा की हूँ ।
यह भी बतायी हूँ की इस तरह के निंदनीय आपत्ति जनक जो मेरी व्यक्तिगत अधिकार का उल्लंगन है, जो भारतीय राजनीति, मीडिया और फ़िल्म क्षेत्र…इत्यादि अब तक जारी रखें हैं, ये सब मेरे ऋणी है।
काल और कर्म की नीति पर इन लोगों को इनके लालच के लिए हिसाब चुकाने होंगे।
रहा सवाल भाजपा के और कारनामायें – जब पुलवामा की हत्या कांड से छुटकारा पाने के लिए, इन्हीं के नियमित पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जी को असत्यपाल घोषित कर रहे हैं, तो इसी तरह नोट बंदी पर भी इन्हें मुँह मोड़ने के लिए जिजक नहीं होगी ।
और तो और, भाजपा यह भी कहने से शायद पीछे नहीं हटेंगे की – नोट बंदी demonetization की सवाल ही नहीं क्यों की पहली बार तो रू ५०० और रू १००० नोट तो उद्योग क्षेत्र में इस्तेमाल नहीं होता था तभी तो उन नोटों को बंद करवाते ।ऐसे अद्भुत मन दढ़क कहानी रचाने में भी यह माहिर हैं ।
और पीछे जाकर २००२ गोधरा हिंसा पर अंकुश लगाने के लिए, भाजपा ने जैसे कई शहरों के नाम बदल डाले – जिन जिन शहर का नाम मुग़ल साम्राज्य से जुड़ा हुआ था ।
उसी तरह गोधरा जो गुजरात के मोदी-शाह साम्राज्य से जुड़ी भयंकर अपराध जनक कांड बपौती इन दो हस्तियों को युगों युगों सता रहा है, उसकेलिए यह गोधरा को यशोधरा नाम में बदलकर, अपने हिन्दुत्वता की डंका बजाने पर मुझे व्यक्तिगत तौर पर कोई आश्चर्य नहीं होगा ।
तो फिर इस तरह इनकेलिये इन सब कलंक से हाथ धोकर – ना रहेगा बाँस न बजेगी बांसुरी करके अपने २०२४ चुनाव अपनी तरीक़े से चलायेंगे जैसे अब तक होता आया है ।
इसलिए भारत की जनता को नोट बंदी और गोधरा की पूरे नाम निशान सम्भालके प्रमाण पूर्वक रखने की आवश्यकता है । क्यों की भाजपा आरोप मिटाने के लिए प्रमाण की माँग रखना और उसे मिटाना भी आवश्यक मानते हैं ।
पद्मिनी अरहंत
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