मानव जाती का धर्म – मानवता इंसानियत
पद्मिनी अरहंत
मनुष्य की जाती – मानव जाती
मानव के धर्म – मानवता, इंसानियत
ईश्वर ने बनाये एक जाती और वह केवल मानव जाती है | इस मानव जाती का धर्म मानवता यानि इंसानियत जिसे कई लोग भूल गए हैं और कुछ लोग त्याग दिए | प्रत्येक मानव अपनी और से मानवता इंसानियत के धर्म निभाए तो उसी में उनकी और उनसे सम्बन्ध सभी रिश्ते नाते में शांति और ख़ुशी अनुभव कर सकते हैं | जहाँ तक हो सके अगर मानव औरों की मदत कर सकते हैं तो किसी भी प्रकार कर सकते हैं | जहाँ दिल हो वहां जहाँ है | यह स्वभाव मानवता इंसानियत के ज़रिये जागृत होता है |
मगर मानव किसी को हानि पहुंचाकर उसे अपनी भला समझे तो, उससे बड़ी नासमझी और कुछ नहीं | ऐसे व्यवहार स्वयं को ही दुख और नष्ट करता है | ऊपर से ऐसे कर्म उनकी आत्मा पर भोज बनकर उनके धरती के बिदाई के समय काँटों का सेज बनता है जिस में उन्हें अपनी अंतिम यात्रा अकेले करना होता है | जीते जी पाप और अपराध से परे रहने वाले भीतर शांति और चैन से जीवन बिताते हैं | अगर उनसे गलती हो जाती है क्यों की इंसान से यह अक्सर होता है | तो उन्हें अपनी गलती का एहसास होना चाहिए | अपनी किये हुए बुरे कर्म को बुरा मानकर उस के लिए क्षमा मांगकर फ़िर उस गलत रास्ते में कभी मुड़कर नहीं जाना चाहिए | इसी से इंसान अपने आपको सुधार सकते हैं और अपनी आत्मा को दण्ड से बचा सकते हैं | जो भी सज़ा आत्मा को भुकतना होता है, वह सभी मानव के स्वयं किया हुआ भूल और अपराध के कारण होता है |
मानव कर्म भूमि में इसीलिए जन्म लेता है ताकि वो अपनी ही जीवन से सीख लेने और अपने इस जनम और पिछले जनम के पाप का प्रायश्चित कर सके | ईश्वर दया करते हैं इस संभावना के लिए उनपर जिनकी आत्मा उनके पाप के भोज से भारी हो और वे मुक्ति से बहुत दूर चले जाते हैं | ईश्वर की करुणा से उन्हें दोबारा अवसर मिलता है ताकि इंसान अपनी बुरे कर्मों की ऋण चुका सके |
मनुष्य रूप प्राप्त होना ही एक सौभाग्य है | उससे निखारने के बदले नष्ट कर देना मानव के लिए बहुत बड़ी संकट और वेदना भरि जीवन और आत्मा के लिए निरंतर अत्यंत संग्राम बन जाता है |
मानवता इंसानियत को अपनाने वाले की सोच, कार्य और उसके अनुसार परिणाम भला होता है |
जय मानव कल्याण |
पद्मिनी अरहंत
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